बसंत – अनिता रश्मि
बसंत उसकी दुधिया हँसी और फेनिल बातों में छिपी है बसंत की मीठी गुनगुनाहट उसकी प्यारी गदबदी उपस्थिति ने...
बसंत उसकी दुधिया हँसी और फेनिल बातों में छिपी है बसंत की मीठी गुनगुनाहट उसकी प्यारी गदबदी उपस्थिति ने...
पिता पिता के खुरदुरे रौबीले चेहरे के पीछे छिपा है एक कोमल चेहरा जिसे सिर्फ बेटियाँ ही पहचान...
कहां हूं मैं ? कहां हूं मैं ? सुनो, जानते हो तुम... मैं रोज आती हूं। खुद को ढूंढती...
मेरे दिल में तुम रहते हो फिर भी इतने गुम रहते हो मेरे दिल में तुम रहते हो फिर...
जीवन के मधुबन में एक सुमन आपका जीवन के मधुबन में एक सुमन आपका महक उठा मन मेरा...
बोलो मेरे वीर जवानों मिट गए कई जवान हमारे, क्या वैलेंटाइन मनाऊं मैं ? खत में लपेटूं फूल कोई...
चलो ख़ुद को भी एक तोहफ़ा दिया जाए चलो ख़ुद को भी एक तोहफ़ा दिया जाए जहां कह...
स्त्री : रोज़ भरती है हौसलों की उड़ान रोज़ आंगन में वो जगा देती है सुबह को और...
वक़्त वक़्त... कहाँ से चले कहाँ आ गए वन्देमातरम से जयहिन्द तक के सफ़र में वक़्त ने विस्तृत...
निर्भया! तुम कभी माफ़ न करना निर्भया! तुम कभी माफ़ न करना नहीं तेरे लिए यहां कोई शर्मिंदा हैं। सब...