कवियित्री: ज्योति किरण सिन्हा
लिखें भी तो क्या लिखें इस दौर की हम दास्ताँ लिखें भी तो क्या लिखें इस दौर की हम दास्ताँ...
लिखें भी तो क्या लिखें इस दौर की हम दास्ताँ लिखें भी तो क्या लिखें इस दौर की हम दास्ताँ...
प्रेम! मैं भी चाहती हूँ करना किसी की आँख के समंदर में डूबना मैं भी चाहती हूँ तन की ग्रीष्म...
हम भी उल्फत मे वफाओ की रिवायत पे चले हम भी उल्फत मे वफाओ की रिवायत पे चले ज़ुल्म ताज़ा...
मजमून -186-``प्रतीक्षा /इंतज़ार '' ====================== प्रतीक्षारत पथराई आँखें -गीत सिसक रही सम्वेदना ,रिश्ते हुए फकीर रिश्तों की तहरीर अब पानी...
आहुति आहुति* पुराना सब आहुत होता है नवीन के स्वागत में। जीर्ण होती वय की आंखों में भय नहीं होता...
परिचय जन्मः बलिया, (उत्तर प्रदेश) शिक्षाः एम. ए. (हिन्दी साहित्य), बी. एड. (विशिष्ट शिक्षा), पीएच. डी. (हिन्दी साहित्य) प्रकाशनः नाटककार...
दोहे पंचतत्त्व से है बना, यह अनमोल शरीर । इसमें ही बैठा हुआ, पीरों का भी पीर ।। काया माटी-सी चढ़ी, कुम्भकार के...
तिरंगा तू मेरा अभिमान तिरंगा तू मेरा अभिमान, तेरे संग गगन में झूमे भारत माँ का मान|| तेरे हरे रंग...
सम्बधों में अपनापन हो, और समर्पण का भी धन हो। कोरे कोरे वन उपवन में, प्रीत प्रेम का गठबंधन हो।।...
बेवजह ही सही ठीक है चलो माना हम दोनों के दरमियाँ नहीं है कुछ खास जैसा। मिल गए होंगे हम...