पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव : राजुल
पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव रोका रथ ऋतुओं ने फूलों...
पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव पुलकित है क्षितिज देख सावन की छाँव रोका रथ ऋतुओं ने फूलों...
एडवांस हो गया गांव तुमने कब से नहीं देखी अपने गांव में लुहार की धौंकनी और लाल हुए लोहे पर...
दोस्त बनकर तुम मेरी ज़िन्दगी में आये थे हर एक सिम्त उदासी के घने साये थे ...
सन्मार्ग पर है वह वह भटकेगा नहीं, थकेगा नहीं डिगेगा नहीं, डरेगा भी नहीं आतताइयों को जीतकर निकला है चिंतित...
मौन ज़िंदगी के बीतते पल बचपन से बुढ़ापे तक का सफ़र देखा है पल पल का दृश्य, समाज और घटती...
પાણી રે પાણી પાણી રે પાણી રૂપ તારું કેવું? ગિરિશખરે હિમાચ્છાદિત સફેદ શીતળતાનું શિવલિંગ ભોળા અમરનાથ સ્વરુપ, પાણી રે પાણી...
दुआओं की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती दुआओं की निगहबानी कभी ख़ाली नही जाती बुजुर्गों की परेशानी अगर सम्हाल ले...
ख़ुशी गर जो होगी तो ग़म भी तो होंगे ख़ुशी गर जो होगी तो ग़म भी तो होंगे तुम्हारे फ़साने...
ब्रेक-अप स्टोरी पहली मुलाक़ात से उसे चाहने लगा था ...
दिल में रहते हो और दिल को दुखा देते हो दिल में रहते हो और दिल को दुखा देते हो ...